साइबर क्रिमिनल के निशाने पर युवा। लालच और खौफ बना रहा ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार।
ठगे गए लोगों में 65 प्रतिशत 40 से कम उम्र के ।
इंदौर। जो युवा आज पढ़ा लिखा है और डॉक्टर, इंजीनियर सहित अन्य प्रतिष्ठित पदों पर आसीन है, जिसके हाथों में आईफोन और स्मार्ट मोबाइल है और वो अधिकांश कार्य इस मोबाइल के जरिए ही कर लेता है, वहीं अपनी छोटी सी गलती या यूं कहे कि लापरवाही के कारण साइबर क्रिमिनल के निशाने पर हैं। थोड़े से लालच या साइबर ठगोरों द्वारा दिखाए खौफ में आकर ये युवा अनजान अपराधी के निशाने पर आ रहे हैं और अपने लाखों रुपए गंवा रहे हैं।
साइबर फ्रॉड के अधिकांश मामलों में पुलिस ने पीड़ितों से बात की और मामलों की जांच की तो सामने आया कि अधिकांश ठगी लालच और खौफ में आने के चलते हुई है। इसमें भी सबसे आश्चर्यजनक तो यह है कि साइबर ठगोरों के शिकार होने वाले लोगों में अधिकांश युवा वर्ग हैं, यानि लगभग 65 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनकी उम्र 40 साल से भी है। ये आसानी से रुपयों के लालच में साइबर ठगोरों के बहकावे में आ जाते हैं और अपने रुपए गंवा बैठते हैं। इनमें भी कई तो पढ़े-लिखे होते हैं, जो ज्यादा और जल्दी रुपए कमाने के चक्कर में ठगी के शिकार बन जाते हैं। एक दूसरा कारण यह भी सामने आया है कि डिजिटल अरेस्ट और अन्य तरीकों से साइबर ठगोरे किसी व्यक्ति को इतना खौफ में ले आते हैं कि वह उनके कहे अनुसार रुपए आॅनलाइन ट्रांसफर कर देता है।
दरअसल वर्तमान दौर को इंटरनेट का युग कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि आज हर कोई इंटरनेट के जरिए अपने काम आसानी से करना चाहता है और इसके चलते कंप्यूटर, लैपटाप, मोबाइल और अन्य गैजेट्स में इंटरनेट का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। इनमें अधिकांश टीन एजर और युवा वर्ग है, जो अपने अधिकांश काम इंटरनेट के जरिए ही कर रहे हैं।
4 साल शिकायतों की रिसर्च
जिस तेजी से इसका उपयोग बढ़ा है उसी तेजी से साइबर क्राइम का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। केवल इंदौर ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश और देश में साइबर क्रिमिनल अपने पैर पसार चुके हैं और हर दिन साइबर साइबर फ्रॉड की अनेक शिकायतें पुलिस के पास पहुंच रही है। देखने में आया है कि साइबर सेल में आने वाली लाखों की ठगी की शिकायतों में औसतन करीब 65 प्रतिशत पीड़ित 40 वर्ष की उम्र समूह से कम के हैं। चार साल की शिकायतों की रिसर्च करने पर पुलिस अधिकारियों के सामने आया कि युवा वर्ग कम समय में ज्यादा कमाने, अतिरिक्त आय के चक्कर में रिस्क लेने में पीछे नहीं हटता और ज्यादा कमाई का यह शार्टकट उन्हें भारी पड़ रहा है।
युवा हो रहे ज्यादा प्रभावित
सोशल मीडिया के जरिए ज्यादा ठगी हो रही है। इसका मुख्य कारण जागरुकता का आभाव माना जा रहा है। सोशल मीडिया के जरिए ठगोरे लोगों को निशाना बनाते हैं। इसमें युवा वर्ग ज्यादा सक्रिय है और यही कारण है कि वे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। अफसरों ने चार साल में आई शिकायतों का बारीकी से अध्ययन किया, जिसमें 18 से 40 वर्ष समूह के लोगों के ज्यादा प्रभावित होने की बात सामने आई।
ये उच्च शिक्षित बनते हैं शिकार
साइबर सेल में ठगी की शिकायत लेकर आने वालों में उच्च शिक्षित, कॉलेज स्टूडेंट के साथ ही डॉक्टर भी शामिल हैं। एक मामले में डॉक्टर को विदेश के बड़े अस्पताल में नौकरी दिलाने का झांसा देकर करीब 18 लाख रुपए ठगे गए। एमटेक इंजीनियर के साथ भी विदेश में नौकरी के नाम पर करीब 20 लाख की ठगी हुई। इसी तरह सीए के साथ ही कई उच्च शिक्षित लोग ठगी का शिकार हो चुके हैं। साइबर सेल मेें इस साल 2 लाख रुपए से लेकर अधिकतम ढाई करोड़ तक की ठगी की शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिसमें जांच चल रही है। इसमें क्रिप्टो करंसी में निवेश करने पर ज्यादा फायदा, घर बैठे निवेश कर तीन-चार गुना फायदा, टेलीग्राम ग्रुप बनाकर झांसा देकर ठगी करने के मामले ज्यादा हैं। दरअसल सायबर सेल में 2 लाख या उससे अधिक की आॅनलाइन ठगी की शिकायतें ही दर्ज कर जांंच की जाती है।
इस साल पहुंची 129 शिकायतें
ज्यादा कमाई का लालच देकर आॅनलाइन ठगी की जा रही है। सायबर सेल एसपी जितेंद्रसिंह के मुताबिक वर्ष 2024 में अभी तक आईं 129 शिकायतों में से 82 में पीड़ित 40 वर्ष उम्र समूह से अंदर के हैं। इससे साफ है कि ज्यादा युवा ठगी के शिकार हो रहे हैं। युवा अतिरिक्त आय के चक्कर में ठगी के शिकार हो रहे हैं। युवा वर्ग का जोर खर्च के लिए ज्यादा कमाई पर रहता है। ईएमआइ पर ज्यादा खरीदी की जाती है, ज्यादा खरीदी व किस्त जमा करने के लिए उसका ध्यान अतिरिक्त आय पर होता है। जब ठगोरे उन्हें कॉल कर या वेब लिंक भेजकर कम समय में ज्यादा कमाई का झांसा देते हैं तो युवा वर्ग अतिरिक्त आय के लिए रिस्क लेने में पीछे नहीं हटते और ठगी के शिकार हो जाते हैं।
साइबर सेल में आई शिकायतों की स्थिति
वर्ष-शिकायतें-40 वर्ष से कम आयु वर्ग के पीड़ित
2021-406- 264
2022-130-84
2023 -184- 115
2024 (जुलाई तक)-129-82
डिजिटल अरेस्ट से खौफ
लोगों को लालच के साथ ही सायबर ठगोरों ने अब खौफ पैदा रुपए ऐंठने का भी प्लान तैयार कर लिया है। अकेले इंदौर शहर में ही एक दर्जन से अधिक मामले ऐसे सामने आ चुके हैं, जिनमें डिजिटल अरेस्ट कर किसी केस में ाूठा फंसाने का कहकर खौफ पैदा करने के बाद लाखों रुपए की ठगी की गई। इसमें ठगोरे पुलिस अधिकारी बनकर सामने वाले को डराते हैं और उसे बातों ही बातों में इतना डरा देते हैं वह उनके कहे अनुसार रुपए उनके बताए नंबरों पर ट्रांसफर कर देता है।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नोटिस भी
आपकी मेल आइडी से चाइल्ड पोर्नोग्राफी की एक्टिविटी की गयी है।साइबर यूनिट ने इस एक्टिविटी को दर्ज किया है। आप पर कानूनी कार्रवाई होगी,जिसमे पॉस्को एक्ट के तहत केस दर्ज किया जा रहा है,आपके पास 24 घंटे का समय है,जिसमे आप आॅनलाइन लिंक से जुड़ कर अपना पक्ष रख सकते हैं। ऐसा एक लीगल नोटिस इन दिनों गृह मंत्रालय या साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर के नाम से मेल या व्हाट्स एप्प पर इन दिनों लोगो को भेजा जा रहा है। यह लीगल नोटिस असली न होकर नकली है।यह साइबर ठगों का ठगी का नया पैंतरा है। इसको लेकर इंडियन साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर ने अलर्ट जारी किया है। ठग इस दौरान सम्पर्क कर मामला रफा दफा करने के नाम पर अवैध वसूली कर ठगी कर रहे है या फिर लिंक भेज कर बैंक खातों को चपत लगा रहे हैं।
सरकारी एजेंसियों की मुहर
दरअसल इन दिनों ईमेल में सीबीआई और गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम को-आॅर्डिनेशन सेंटर के नाम से नोटिस भेजा जा रहा है।लीगल नोटिस में लिखा है कि गृह मंत्रालय की सर्विलांस यूनिट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट को वायरल करते हुए ट्रेस किया है। ऐसे में 24 घंटे के भीतर संपर्क करने को कहा जाता है।इसके बाद सम्पर्क के लिए साइबर ठग एक लिंक भेजते है। इस लिंक पर क्लिक करने पर साइबर ठग बैंक खातों में चपत लगा देते है।इस फर्जी लेटर पर सीबीआई और अन्य इन्वेस्टिगेशन एजेंसियों की मुहर भी लगी है।वही गृह मंत्रालय , इंटेलीजेंस ब्यूरो सहित कई विभाग प्रमुखों के नाम भी लिखे है।
जारी की एडवाइजरी
इस तरह के लीगल नोटिस भेज कर कई ठगी की शिकायत एक साथ 1930 पर दर्ज की गई है। इसके बाद इन्डियन साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर ने एडवायजरी जारी कर दी है। इस एडवायजरी में कहा है कि यह लेटर पूरी तरह से फर्जी है। इस पर दर्ज सभी नाम और पद गलत है,किसी भी सरकारी विभाग से यह पत्र जारी नहीं किया गया है।यह एक मात्र फर्जी लेटर है और इसके जरिए साइबर ठग ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं। इसलिए इस कथित लीगल नोटिस के आने के बाद डरने की जरूरत नहीं है। और न ही मेल या व्हाट्स एप्प पर भेजे गए लिंक पर क्लिक करने की जरूरत है।यदि किसी लिंक पर क्लिक करते है तो ठगी के शिकार हो सकते है। आपके बैंक खातों में राशि को ठग चपत लगा सकते हैं।